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उत्तर प्रदेश सरकार का बेरोजगारों के स्किल डेवलपमेंट में सर्वोत्तम योगदान-

सिर्फ हंगामे खड़े करना मेरा मकशद नहीं, मेरी कोशिश है ये सूरत बदलनी चाहिए।।।।।।।।
सिर्फ हंगामे खड़े करना मेरा मकशद नहीं, मेरी कोशिश है ये सूरत बदलनी चाहिए।।।।।।।।
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राज्य में ये सिलसिला 2011 में प्राथमिक शिक्षक की भर्ती से प्रारम्भ हुआ. तब से उत्तर प्रदेश सरकार ने शिक्षित बेरोजगारों में एक सफल कर्मचारी बनने के लिए आवश्यक निम्नलिखित मूलभूत गुणों का विकास किया हैं-

सूचना प्रोद्योगिकी-एक समय था जब राज्य का पड़ा -लिखा बेरोजगार सूचना प्रोद्योगिकी का मतलब ही नहीं जानता था. मसलन ये क्या बला है? इसका उपयोग क्या है? ऑनलाइन फॉर्म कैसे भरे जाते है? सर्वर क्या बला होती है? नेटबैंकिंग किसे कहते हैं? इत्यादि. आज इन सारे सवालों के जबाब उसके पास हैं.

सामान्य जानकारी में वृद्धि- इस राज्य के युवा बेरोजगारों को बाबूगिरी, गुंडागर्दी जैसी मूलभूत जरूरतों के साथ भारत के पोस्टल ऑफिस से जुडी कई सामान्य जानकारियां बढ़ाने का भी एक अवसर प्रदान किया हैं. मसलन राज्य में कितने जिले हैं? किस जिले का जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (DIET) कहाँ हैं? किस DIET का क्या पिन कोड हैं? कम से कम समय में कैसे अधिक से अधिक लिखा जा सकता हैं? यदि अंतिम तिथि नजदीक होने की बजह से पोस्ट ऑफिस में भारी भीड़ हो तो “आरएमएस” नाम का एक रेलवे का पोस्ट ऑफिस भी होता हैं, यदि वहाँ भी भीड़ हो तो कैसे धक्कामुक्की, गुंडागर्दी, जुगाड़ से अपने फॉर्म्स को स्पीड पोस्ट करना हैं आदि.

फण्ड मैनेजमेंट- उत्तर प्रदेश सरकार ने शिक्षित बेरोजगार युवाओं को फण्ड मैनेजमेंट के गुण सिखाये जिसमे एक बेरोजगार को साइबर कैफ़े की फीस, पोस्टल के खर्चे, ज़ेरॉक्स के खर्चे के लिए पैसे का जुगाड़ करना आदि शामिल हैं. साथ ही यदि सरकार को फण्ड की कमी हो तो कैसे बेरोजगारों की मदद से अरबों रूपये फीस के माध्यम से जमा कर उनके व्याज से सरकारी खर्चे चलाये जा सकते हैं ये भी सीखने को मिला.

स्ट्रेस मैनेजमेंट- बार-बार एक ही वेकेंसी का विज्ञापन देखने के बाबजूद कैसे अपने स्ट्रेस पर कंट्रोल करना हैं. जो कि एक सफल कर्मचारी बनने के लिए बहुत आवश्यक हैं.

समय का सदुपयोग- कम समय में कैसे ज्यादा से ज्यादा फॉर्म्स भरने हैं एवं यदि कोई अमेंडमेंट आता हैं तो उस पर कैसे त्वरित कार्यवाही (सुपरमैन बनकर) करनी हैं आदि सीखने में अपना योगदान दिया.

ऑफिस ऑफिस- कौन सा निदेशालय कहाँ हैं? किसका मुखिया कौन हैं? आदि याद करने में सहायता की.

लाइजिन- अंतिम तिथि नजदीक होने की बजह से यदि फॉर्म पोस्ट न हो पा रहे हो तो कैसे जुगाड़ की जाती हैं ये भी शीखने का मौका दिया.

लीगल- कानून में क्या लिखा हैं? प्रक्रिया को क़ानूनी पचड़े में कैसे फसाया जा सकता हैं? कोर्ट कितने प्रकार की होती हैं? कानून का पालन न करने पर “कंटेम्प्ट ऑफ़ कोर्ट” होता हैं इत्यादि की जानकारी मिली.

ईमानदारी का परिचय- कैसे पूरी ईमानदारी से बाजार में उड़ रही अफवाहों को ध्यान में रख कर पूरी जिम्मेदारी से उस पर कार्यवाही करनी हैं चाहे भले ही उस पर शाशन/प्रशाशन खामोश हैं.

डाक्यूमेंट्स का रखरखाव- कैसे सालों पुराने स्पीड पोस्ट/रजिस्टर्ड पोस्ट के कॉपी को संभाल के रखना हैं क्योंकि कभी भी पुराना वाला विज्ञापन लागू हो सकता हैं.

बैंकिंग छेत्र का अनुभव- इस शिक्षक भर्ती प्रक्रिया के दौरान शिक्षित बेरोजगारों को बैंकिंग प्रक्रिया को अच्छे से सीखने का मौका मिला मसलन DD कैसे बनते हैं? कितनी फीस लगती हैं? कैसे कैंसिल कराते हैं? कैंसिलेशन के चार्जेज क्या होते हैं इत्यादि.

आपसी भाईचारा- इस प्रक्रिया के दौरान दो डिपार्टमेंट्स के बीच का भाईचारा देख कर बेरोजगारों में भाईचारे की भावनाएं जाग्रत हुई. मसलन यदि पोस्टल डिपार्टमेंट घाटे की अर्थव्यवस्था से गुजर रहा हो तो कैसे आवेदन मंगा कर रातो रात उस डिपार्टमेंट की झोली में करोङो रुपये डाल कर उसकी मदद की जा सकती हैं.

अनुज कुमार करोसिया

उत्तर प्रदेश शिक्षक भर्ती शोधार्थी

मोबाइल- 07876844085

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