सिर्फ हंगामे खड़े करना मेरा मकशद नहीं, मेरी कोशिश है ये सूरत बदलनी चाहिए।।।।।।।।
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क्या भाषा का ज्ञान से कोई सीधा सम्बन्ध है?? अगर हाँ तो क्या? अगर नहीं तो क्यों हम अंग्रेजी के ज्ञान के बगैर अपने आपको अधूरा मानते है? बचपन से ही हम ज़िस भाषा में पले- बड़े क्या उसमे सक्षम बनकर हम अपने आप को ऊंचाई तक नहीं पंहुचा सकते?? क्यों अक्सर अंग्रेजी को न जानने वाले अपने आप को दबा-कुचला, कमजोर समझते है? क्या इसके लिए सरकारी नीतियां जिम्मेदार है? या हमारी खुद कि मानसिकता? क्यों हमारे सरकारी आंकड़े मिलियन, बिलियन, ट्रिलियन, डॉलर मैं लिखे जाते है?
क्या आप जानते है लेबनान की कवियत्री सुजैन तालहक अरब छेत्र में अपनी मातृभाषा अरबी को बचाने के लिए संघर्ष कर रही थी. एक बार वे अपने देश के एक आधुनिक रेस्ट्रोरेन्ट में बैठी थीं, उन्होंने वेटर से जब अपनी मातृभाषा अरबी में मेनू माँगा तो वेटर ने उन्हें पिछड़ा हुआ समझकर अभद्र व्वहार किया. वहाँ वेटर की मनोदशा अंग्रेजी के मुकाबले मातृभाषा को हीन मानने की थी. कोई भी भाषा जानना या उसमे महारथ हासिल करना बुरी बात नहीं है लेकिन अपनी मातृभाषा के प्रति सम्मान एवं उसकी स्वीकार्यता के काम जरुरी है.
दोस्तों, १७ नवम्बर १९९९ को यूनेस्को ने हर साल अंतररास्ट्रीय मातृभाषा दिवस २१ फरबरी को मनाने को घोषणा की थी. इस दिवस को मनाने का उद्देश्य ये था की विश्व की सांस्कृतिक विविधता और बहुभाषिता को बढ़ावा मिले. क्या आप नहीं चाहते की हिन्दी अंतररास्ट्रीय स्थर पर स्वीकार्य भाषा बने? अगर हाँ तो उठाइये कागज और कलम और लिख दीजिये कुछ खालिस हिन्दी मैं. यक़ीन मानिये आपको बहुत अच्छा लगेगा
क्या भाषा का ज्ञान से कोई सीधा सम्बन्ध है?? अगर हाँ तो क्या? अगर नहीं तो क्यों हम अंग्रेजी के ज्ञान के बगैर अपने आपको अधूरा मानते है? बचपन से ही हम ज़िस भाषा में पले- बड़े क्या उसमे सक्षम बनकर हम अपने आप को ऊंचाई तक नहीं पंहुचा सकते?? क्यों अक्सर अंग्रेजी को न जानने वाले अपने आप को दबा-कुचला, कमजोर समझते है? क्या इसके लिए सरकारी नीतियां जिम्मेदार है? या हमारी खुद कि मानसिकता? क्यों हमारे सरकारी आंकड़े मिलियन, बिलियन, ट्रिलियन, डॉलर मैं लिखे जाते है?
क्या आप जानते है लेबनान की कवियत्री सुजैन तालहक अरब छेत्र में अपनी मातृभाषा अरबी को बचाने के लिए संघर्ष कर रही थी. एक बार वे अपने देश के एक आधुनिक रेस्ट्रोरेन्ट में बैठी थीं, उन्होंने वेटर से जब अपनी मातृभाषा अरबी में मेनू माँगा तो वेटर ने उन्हें पिछड़ा हुआ समझकर अभद्र व्वहार किया. वहाँ वेटर की मनोदशा अंग्रेजी के मुकाबले मातृभाषा को हीन मानने की थी. कोई भी भाषा जानना या उसमे महारथ हासिल करना बुरी बात नहीं है लेकिन अपनी मातृभाषा के प्रति सम्मान एवं उसकी स्वीकार्यता के काम जरुरी है.
दोस्तों, १७ नवम्बर १९९९ को यूनेस्को ने हर साल अंतररास्ट्रीय मातृभाषा दिवस २१ फरबरी को मनाने को घोषणा की थी. इस दिवस को मनाने का उद्देश्य ये था की विश्व की सांस्कृतिक विविधता और बहुभाषिता को बढ़ावा मिले. क्या आप नहीं चाहते की हिन्दी अंतररास्ट्रीय स्तर पर स्वीकार्य भाषा बने? अगर हाँ तो उठाइये कागज और कलम और लिख दीजिये कुछ खालिस हिन्दी मैं. यक़ीन मानिये आपको बहुत अच्छा लगेगा
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